गन्ने में कौन कौन सी खाद डालना चाहिए? :- विश्व के कुल 114 देशों में चीनी का उत्पादन दो स्रोतों गन्ना और चुकंदर से होता है। गन्ना उपोष्णकटिबंधीय देशों में उगाया जाता है। गन्ने से ही भारत में चीनी का निर्माण होता है, विश्व में गन्ने के क्षेत्रफल में भारत का प्रथम स्थान है] लेकिन चीनी उत्पादन में ब्राजील के बाद दूसरे स्थान पर है। हमारे देश में गन्ना एक नकदी फसल है, जिसकी खेती हर साल लगभग 30 लाख हेक्टेयर भूमि में की जाती है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की औसत उपज 81-1 टन प्रति हेक्टेयर है।
गन्ने की खेती ज्यादातर उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में मिट्टी की जलोढ़ मिट्टी पर की जाती है जिसमें पर्याप्त जल धारण क्षमता होती है। इन क्षेत्रों में गन्ने की खेती गर्म और शुष्क और नम और ठंडी जैसी जलवायु परिस्थितियों में की जाती है। गन्ना वृद्धि के लिए अनुकूल समय जुलाई से अक्टूबर तक ही है। गन्ने की खेती सामान्यतः बलुई दोमट भूमि में की जाती है, जिसकी मिट्टी में नमी 12-15 प्रतिशत होती है।
उर्वरक
गन्ने में 300 किग्रा. नाइट्रोजन (650 किग्रा यूरिया), 80 किग्रा फॉस्फर, (500 किग्रा सुपरफॉस्फेट) और 90 किग्रा पोटाश (150 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश) प्रति हेक्टेयर दें। फॉस्फर और पोटाश की पूरी मात्रा क्यारियों में बिजाई से पहले देनी चाहिए। नाइट्रोजन की मात्रा अक्टूबर। फरवरी में बोई जाने वाली फसल के लिए इसे खण्डों में बाँटकर अंकुरण के समय, जुताई के समय, हल्की मिट्टी लगाते समय और भारी मिट्टी लगाते समय दें। गन्ने की फसल में नाइट्रोजन की मात्रा की पूर्ति गाय के गोबर की खाद या हरी खाद से करना लाभकारी होता है।
भूमि का चयन और तैयारी
गन्ने की खेती किसी भी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है। गन्ने के लिए काली भारी मिट्टी, पीली मिट्टी और अच्छे जल निकास वाली रेतीली मिट्टी सर्वोत्तम होती है। अत्यधिक जल भराव से फसल के खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। सामान्य पीएच मान वाली भूमि गन्ने की खेती के लिए उपयुक्त होती है। गहरी दोमट मिट्टी में इसकी उपज अधिक मात्रा में प्राप्त होती है।
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गन्ने की फसल में खाद एवं उर्वरक
- गन्ने की अच्छी उपज लेने के लिए खेत तैयार करते समय 150 किलो गोबर का प्रयोग किया जाता है।
- नाइट्रोजन, 80 किग्रा फॉस्फोरस एवं 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर के साथ 25 किग्रा जिंक सल्फेट देना चाहिए।
- नत्रजन की 1/3 मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा प्रति हेक्टेयर में मिला देना चाहिए।
- जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा बुआई से पूर्व कूंड़ तैयार करते समय पौधों के पास लगा देना चाहिए।
- खेत में या पहली सिंचाई के बाद। नत्रजन की शेष मात्रा देते समय निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।
- इसे समान भागों में बांटकर अप्रैल-मई के महीने में दो बार प्रयोग करना चाहिए।
सफेद मक्खी
यह कीट गन्ने के पत्तों से रस भी चूसता है, पत्तों पर पीले-सफेद और काले-सफेद धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। रस चूसते समय, कीट एक चिपचिपा अमृत भी उत्सर्जित करता है, जिस पर काली फफूंद विकसित हो जाती है, जो प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को बाधित करती है। प्रभावित फसल की पत्तियाँ काली पड़ जाती हैं। इस कीट के आक्रमण से पत्तियाँ कमजोर हो जाती हैं। जिन क्षेत्रों में जलनिकासी की उचित व्यवस्था नहीं है, वहां इसका प्रकोप अधिक होता है।
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