उर्वरक
गन्ने की फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों पर नाइट्रोजन का प्रभाव सर्वविदित है। पोटाश एवं फास्फोरस का प्रयोग भूमि में कमी होने पर ही करना चाहिए। अच्छी उपज के लिए गन्ने में 150 से 180 किग्रा/हे. प्रयोग लाभकारी पाया गया है। नत्रजन की कुल मात्रा का 1/3 तथा कमी होने पर 60-80 किग्रा फास्फोरस एवं 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर बुवाई से पूर्व खाद में मिला देना चाहिए। नत्रजन का शेष 2/3 भाग जून के पूर्व की अवधि में दो भागों में समान रूप से प्रयोग कर लेना चाहिए।
गन्ने के लिए जैविक खाद
एज़ोस्पिरिलम एन पोषण के लिए अनुशंसित सामान्य जैव उर्वरक है जो गन्ने की जड़ों को उपनिवेशित कर सकता है और प्रति वर्ष लगभग 50 से 75 किलोग्राम एन प्रति हेक्टेयर की दर से वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक कर सकता है। हाल ही में, एक अन्य एंडोफाइटिक नाइट्रोजन फिक्सिंग जीवाणु, गन्ने से पृथक ग्लूकोनासेटोबैक्टर डायज़ोट्रोफिकस एज़ोस्पिरिलम की तुलना में अधिक नाइट्रोजन को ठीक करने में सक्षम हो सकता है। यह पूरे गन्ने में व्याप्त है और कुल एन सामग्री को बढ़ाता है।
गन्ने की फसल में नाइट्रोजन की मात्रा की पूर्ति गाय के गोबर की खाद या हरी खाद से करना लाभकारी होता है।
मिट्टी में, यह जड़ों को आबाद कर सकता है और फॉस्फेट, लोहा और जस्ता को घोलने में सक्षम है। यह फसल की वृद्धि, गन्ने की उपज और जूस की चीनी सामग्री को भी बढ़ा सकता है। चूंकि यह एज़ोस्पिरिलम से अधिक कुशल है, इस नए जीव को विभिन्न केंद्रों पर परीक्षण-सत्यापित किया गया था और नए जैव उर्वरक ग्लूकोनासेटोबैक्टर डायज़ोट्रोफिकस टीएनएयू बायोफर्ट- I के रूप में जारी किया गया था। गन्ने की फसल के लिए फास्फोबैक्टीरिया को पी सोल्यूबिलाइजर्स के रूप में संस्तुत किया जाता है।
मिट्टी का प्रकार
अच्छी जल निकासी वाली दोमट से चिकनी दोमट और काली भारी मिट्टी गन्ने के लिए सर्वोत्तम होती है। गन्ने की फसल के लिए 6.5 पीएच मान वाली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। गन्ने की फसल में अम्लता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता होती है, इसलिए इसकी खेती 5 से 8.5 के पीएच मान वाली भूमि में आसानी से की जा सकती है।
खेत की तैयारी
गन्ना एक बारहमासी फसल है, इसके लिए खेत की गहरी जुताई के बाद कल्टीवेटर और रोटावेटर और कल्टीवेटर को आवश्यकतानुसार 2 बार चलाकर खेत तैयार करें, मिट्टी भुरभुरी होनी चाहिए, जिससे गन्ना गहराई तक जाएगा जड़ों में जाकर जरूरी पोषक तत्वों को सोख लेते हैं।
गन्ने की फसल में खाद एवं उर्वरक
- गन्ने की अच्छी उपज लेने के लिए खेत तैयार करते समय 150 किलो गोबर का प्रयोग किया जाता है।
- नाइट्रोजन, 80 किग्रा फॉस्फोरस एवं 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर के साथ 25 किग्रा जिंक सल्फेट देना चाहिए।
- नत्रजन की 1/3 मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा प्रति हेक्टेयर मिलानी चाहिए।
- जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा पौधों को बुआई के समय खेत में बुवाई के समय देना चाहिए।
- तैयारी या पहली सिंचाई के बाद। नत्रजन की शेष मात्रा देते समय निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।
- इसे समान भागों में बांटकर अप्रैल-मई के महीने में दो बार प्रयोग करना चाहिए।
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