पोटाश को फसल में कब डालना चाहिए पोटाश का महत्त्व और अन्य जानकारियां यहाँ देखें नमस्कार किसान मित्रों, आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि फसलों के अंदर पोटाश का क्या महत्व है।
फसलों में पोटाश का प्रयोग क्यों करना चाहिए और कितनी मात्रा में और कब देना चाहिए। पोटाश से जुड़ी जानकारी नीचे दी गई है, पोस्ट को ध्यान से पढ़ें निचली पत्तियों के किनारे जल जाते हैं। यह अपनी कमियों को जल्दी नहीं दिखाता है। कपास में इसकी कमी के लक्षण दिखाई दें तो समझ लें कि आपने कपास की फसल को मार डाला है।
पोटाश एक आवश्यक पोषक तत्व है
- पोटाश पौधों की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है।
- पोटाश फसलों को मौसम की प्रतिकूलताओं जैसे सूखा, ओलावृष्टि और कीट-बीमारी आदि से बचाने में मदद करता है।
- पोटाश जड़ों की उचित वृद्धि द्वारा फसलों को उखड़ने से बचाता है।
- पोटाश के प्रयोग से पौधे की कोशिका भित्ति मोटी हो जाती है और तना कोशिकाओं की परतों में विकसित हो जाता है, जिससे फसल गिरने से बच जाती है।
- जिन फसलों को पोटाशियम की पूरी मात्रा मिल जाती है उन्हें वांछित उपज देने के लिए अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता होती है।
- पोटाशियम के इस हल्के प्रयोग से फसल की जल-उपयोग दक्षता में सुधार होता है।
- पोटाश सबसे महत्वपूर्ण तत्व है जो फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
पौधों में पोटेशियम की कमी के लक्षण
1. पौधों की वृद्धि और विकास में कमी।
2. पत्तियों का काला पड़ना।
3. पुरानी पत्तियों के सिरों या किनारों का पीला पड़ना, इसके बाद ऊतक मरना और पत्तियों का सूखना।
धान की जुताई का समय
धान में बालियां निकलने से पहले 40 से 45 किग्रा यूरिया में जिंक सल्फेट मिलाकर आवश्यकतानुसार छिड़काव करना चाहिए। इससे धान की कलियां जल्दी और अधिक मात्रा में निकलती हैं, लेकिन धान की कलियों के समय कोई भी खाद नहीं डालना चाहिए। इससे धान की पराली प्रभावित होती है और खाद डालते समय खेत में पानी कम होना चाहिए।
पोटाश आवेदन समय
जब धान में एक या दो दाने निकलने लगें तो 35 किग्रा यूरिया और 30 किग्रा पोटाश मिलाकर प्रति एकड़ में डालना चाहिए। इससे धान की जड़ें मजबूत हो जाती हैं, जिससे धान की बालियां जल्दी निकल जाती हैं और बालियां बड़ी निकल आती हैं। तथा धान की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिसके कारण माहू अपना प्रभाव अधिक नहीं डाल पाते इसलिए धान की फसल में पोटाश डालना आवश्यक होता है।
फसलों को पोटाश कब देना चाहिए?
यह हर अवस्था में आवश्यक है चाहे वह बुवाई के समय हो या फूल आने की अवस्था में। फल अवस्था के दौरान पूरे पौधे द्वारा पोटाश का उत्पादन किया जाता है।
नोट– कपास और सरसों में डीएपी की जगह एनपीके 12:32:16 दें तो बेहतर परिणाम मिलेगा।
किसान मित्र किसी भी प्रकार के कीटनाशक का छिड़काव करने से पहले अपने कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। धन्यवाद