यह गेहूं की नवीनतम क़िस्मों में से एक है डीबीडब्यू 222 के नाम से भी जाना जाता है इस किस्म की बिजाई किसान 25 अक्टूबर से 25 नवंबर के भीतर कर सकते हैं

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इस किस्म को 5 से 6 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है एवं गेहूं की यह कैसे मात्र 143 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार 65.1 से 82.1 तक की बंपर पैदावार देती है

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इस किस्म को 5 से 6 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है एवं गेहूं की यह कैसे मात्र 143 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार 65.1 से 82.1 तक की बंपर पैदावार देती है

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गेहूं की इस किस्म की सबसे अच्छी बात यह होती है कि इसमें पीला रतवा और ब्लास्ट जैसी बीमारियां लगने की संभावना बहुत कम होती है।

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गेहूं की इस किस्म को डीबीडब्ल्यू-187 के नाम से भी जाना जाता है गेहूं की यह किस में गंगा तटीय क्षेत्र के लिए अच्छी मर जाती है

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गेहूं की यह किस्म कश्मीर हिमाचल एवं उत्तराखंड के लिए सबसे अच्छी एवं लाभदायक मानी जाती है क्योंकि यह फफूदी और गलत रोग प्रतिरोधक होती है

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गेहूं किस किस्म की विजई 25 नवंबर से 25 नवंबर तक का समय सही माना जाता है इसकी पैदावार 57.5 से 87.60 प्रति कुंतल डर तक की हो जाती है

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गेहूं की यह किस्मत उत्तर प्रदेश बिहार उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए धनी मानी जाती है।

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गेहूं की यह किस एम 127 दोनों में पकने वाली किम को मात्र एक सिंचाई की जरूरत पड़ती है इसकी पैदावार 55 कुंतल प्रति एकड़ तक होती है

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गेहूं की यह किस एम रोगों से लड़ने में सक्षम होती है किट और रोगों से खुद की सुरक्षा करने में सक्षम है इसका उत्पादन लगभग 74 क्विंटल प्रति हेक्टर तक की होती है

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