उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को 6 साल में मिले ₹2 लाख करोड़ – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले 6 साल में गन्ना किसानों को रिकॉर्ड ₹2.14 लाख करोड़ का भुगतान किया है। आधिकारिक बयान के मुताबिक, इस दौरान योगी सरकार ने गन्ना किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए 2 नई चीनी मिलें खोलीं, 4 बंद मिलों को दोबारा खोला और 30 मिलों का विस्तार किया. यूपी में फिलहाल 120 चीनी मिलें चल रही हैं.
इथेनॉल उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी
जहां पिछली सरकारों में प्रदेश का औसत चीनी परता 10.61 प्रतिशत था, वहीं योगी सरकार में चीनी परता बढ़कर 11.43 प्रतिशत हो गया है। इसमें बी हेवी गुड़ से और सीधे गन्ने से 9.60 प्रतिशत इथेनॉल का उत्पादन शामिल है। योगी सरकार ने खांडसारी नीति में बदलाव करते हुए प्रदेश में ऑनलाइन खांडसारी लाइसेंसिंग व्यवस्था लागू की थी. परिणामस्वरूप प्रदेश में 284 नई खांडसारी इकाइयां स्थापित हुईं। इससे 31,690 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिले।
योगी सरकार ने देश में इथेनॉल के उत्पादन में भी रिकॉर्ड बनाया है. वर्ष 2016-17 में जहां राज्य में इथेनॉल का कुल उत्पादन 42.07 करोड़ लीटर था, वहीं वर्तमान में यह बढ़कर 160 करोड़ लीटर हो गया है.
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2021-22 में 1,016.26 लाख टन गन्ने की पेराई की गई है, जिससे 101.98 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है. इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में अब तक 1,098.31 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है, जिससे 105.41 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है. पिछले साल की तुलना में इस साल गन्ने की खेती में कुल 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
गन्ना बीज उत्पादन और वितरण में शामिल ग्रामीण महिलाएं
विभाग का कहना है कि गन्ना बेल्ट की ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें रोजगार से जोड़ा गया है. विभाग ने कोविड-19 महामारी के दौरान गन्ना बीज उत्पादन और वितरण में ग्रामीण महिलाओं को शामिल किया। वर्तमान में 3,196 महिला स्व-सहायता समूह इन कार्यों में सक्रिय हैं। इनमें से 60 हजार ग्रामीण महिला उद्यमी गन्ने की पौध तैयार कर अपनी आजीविका कमा रही हैं।
महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा अब तक 38 करोड़ गन्ने के पौधे तैयार किये जा चुके हैं। इन महिलाओं ने इस पौधे को बांटकर 102 करोड़ रुपये की कमाई भी की है. विभाग ने माना कि पिछले कुछ वर्षों में गन्ने की किस्म और बीज बदलने में महिला स्वयं सहायता समूहों ने अग्रणी भूमिका निभाई है।
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