बारिश की कमी से प्रभावित हो सकती है गन्ने की फसल :एक तरफ राज्य में बर्षा नहीं हो रही है तो दूसरी तरफ राज्य में जो डैम हैं उनमें बहुत कम पानी बचा है. कुछ डैम ऐसे भी हैं जहां केवल 19 प्रतिशत तक पानी बचा है. किसान भाइयों का कहना है कि पानी की कमी से गन्ने की वृद्धि प्रभावित होगी एवं चीनी की रिकवरी पर इसका बहुत असर पड़ेगा.
बारिश की कमी से प्रभावित हो सकती है गन्ने की फसल
बारिश की कमी से प्रभावित हो सकती है गन्ने की फसल :देश का दूसरे सबसे बड़े गन्ना उत्पादक महाराष्ट्र में इस बर्ष बारिश की कमी की वजह से गन्ना अथबा चीनी उत्पादन प्रभावित हो सकता है. राज्य सरकार के आंकड़ों के अंतर्गत, पुणे, जिसे महाराष्ट्र का चीनी केंद्र कहा जाता है,वो जल संकट का सामना कर रहा है. बारिश हो नहीं रही है अथबा जो डैम हैं उनमें केवल 19 फीसदी तक पानी ही बचा है. कोंकण क्षेत्र को छोड़कर, राज्य के अतिरिक्त हिस्से इस मौसम में बर्षा की कमी का सामना कर रहे हैं. हालाँकि विशेषज्ञों ने भविष्यवाणी की है कि बारिश की कमी जुलाई के बीच तक जारी रह सकती है. इससे गन्ना किसान चिंतित हैं. किसानों की बिपत्ति की वजह है. यहां गन्ना प्रमुख फसल है, जिसमें पानी की अच्छी खासी आबश्यकता पड़ती है.
बारिश की कमी से प्रभावित हो सकती है गन्ने की फसल,
कोल्हापुर जिले के केजे चव्हाण का कहना है कि प्री-मॉनसून बर्षा अथबा उसके बाद मौसमी बारिश से गन्ने की फसल को सहायता मिलती है, लेकिन इस बर्ष बारिश नहीं के बराबर हुई है. कुल मिलाकर गन्ने की खेती अथबा उत्पादन प्रभाबित होने की अपेक्षा है. उन्होंने कहा कि बारिश की कमी के कारण किसान भाई गन्ने की नई फसल लगाने के तैयार नहीं हैं. इससे रकबा प्रभावित हो सकता है. एवं उसका असर फिर उत्पादन पर पड़ेगा.
कम बर्षा से बदल सकते हैं अनुमान
सतारा जिले के तात्या शिरसाट ने कहा कि पानी के डैम में जल स्तर बेहद कम होने के कारण सिंचाई विभाग को सिंचाई के लिए पानी का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है. उधर, बारिश हो नहीं रही है. एक तरह से किसान दोहरी बिपत्ति झेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि पानी की कमी से गन्ने की वृद्धि प्रभावित होगी अथबा चीनी की निकासी दर यानी रिकवरी पर भी बेहद असर पड़ेगा. राज्य सरकार के अधिकारियों के अंतर्गत , इस सीजन में गन्ने की कुल खेती पिछले चीनी सीजन की तुलना में 40,000 हेक्टेयर तक बढ़ने की संभावना थी, लेकिन कम बर्षा से अनुमान बदल सकते हैं.
ड्रिप इरीगेशन की योजना का क्या हुआ
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के तहत अपनी पिछली रिपोर्टों में कहा था कि महाराष्ट्र में गन्ने की फसल में राज्य के सिंचाई जल का लगभग 70 प्रतिशत इस्तेमाल होता है. इसलिए राज्य ने 2019 के बाद गन्ने की फसल के लिए ड्रिप इरीगेशन को अनिवार्य बनाने का फैसला लिया. लेकिन, किसानों की नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण यह योजना कागजों पर ही रह गई है. फिलहाल, किसानों को बर्षा का इंतजार है.
बारिश की कितनी कमी
महाराष्ट्र के कई हिस्से इस वक्त सूखे का सामना कर रहे हैं. राज्य में बुवाई की प्रगति के साथ-साथ सूखे से निपटने की तैयारी और खरीफ फसल संबंधी गतिविधियों की केंद्र सरकार समीक्षा भी कर चुका है. चार जुलाई को राज्य अथबा केंद्र के अधिकारियों के बीच एक बैठक हुई थी. तब तक महाराष्ट्र में 39 प्रतिशत वर्षा की कमी थी. आंकड़ों के अनुसार, जहां कोंकण क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, वहीं मराठवाड़ा, विदर्भ और मध्य महाराष्ट्र जैसे अन्य इलाकों में कम बारिश हुई है.