जैसा कि आप जानते हैं कि आज के समय में किसान कई ऐसे फसलों की खेती कर रहे हैं जिसके माध्यम से अधिक पैसे कमाना आसान है ऐसे में अगर आप भी एक किसान है और मिर्च की खेती करना चाहते हैं लेकिन कैसे करेंगे उसकी प्रक्रिया नहीं जानते हैं आज के आर्टिकल में हम आपको मिर्च की खेती कैसे करें उसके बारे में बताएंगे आइए जानते हैं-
मिट्टी
मिर्च को हल्की से लेकर भारी तक सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। हल्की उपजाऊ और अच्छे जल निकास वाली नमी वाली मिट्टी अच्छी वृद्धि के लिए अनुकूल होती है। भारी मिट्टी की तुलना में हल्की मिट्टी बेहतर गुणवत्ता वाली उपज देती है। मिर्च की अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी की आवश्यकता है
भूमि की तैयारी
खेत तैयार करने के लिए 2-3 बार जुताई करें और प्रत्येक जुताई के बाद कंकड़ तोड़ लें। बुआई से 15-20 दिन पहले प्रति एकड़ 150-200 क्विंटल गोबर की खाद डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। खेत में 60 सेमी. की दूरी पर नाली और नाली बनाएं। एज़ोस्पिरिलियम 800 ग्राम प्रति एकड़ और फॉस्फोबैक्टीरिया 800 ग्राम प्रति एकड़ को गोबर की खाद के साथ मिलाएं और खेत में डालें।
रोपने का सुझाव
रोपण युक्तियाँ उपचारित बीज ट्रे में प्रति कोशिका एक बीज बोयें। बीज को कोकोपिट से ढक दें और ट्रे को अगल-बगल रखें। बीज अंकुरित होने तक उन्हें पॉलिथीन से ढक दें। नर्सरी में बीज बोने के बाद क्यारियों को 400 जालीदार नायलॉन के जाल या पतले सफेद कपड़े से ढक दें।यह नए तकनीशियन को औद्योगिक-मकौड़े और तकनीकी के आक्रमण से शुरू किया गया है। 6 दिन के बाद ट्रे में लगे नए अर्थशास्त्री को एक करके जाल की छाँव के नीचे बेडों में। बीज अंकुरण तक पानी देने वाले पोश्चर की मदद से पानी मांगें। बिजाई के 18 दिन बाद 19:19:19 का 0.5 प्रतिशत (5 ग्राम प्रति लीटर) का झटका।
कितना बीज डाले
बीज की मात्रा संकर किस्मों के लिए 80-100 ग्राम प्रति एकड़ और अन्य किस्मों के लिए 200 ग्राम प्रति एकड़ होनी चाहिए। बुआई से पहले बीज को 3 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। रासायनिक उपचार के बाद बीज को 5 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 10 ग्राम स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें और छाया में रखें।
फिर इस बीज का उपयोग बुआई के लिए करें। फूलों को वाटरिंग कैन से पानी दें। नर्सरी में 15 दिन के अंतराल पर ऑक्सीक्लोराइड 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से डालें।इससे पौधों को उकठा रोग से बचाया जा सकता है.
कितनी खाद डाले
प्रति एकड़ कितनी मात्रा में नाइट्रोजन 25 किग्रा (यूरिया 55 किग्रा), फास्फोरस 12 किग्रा (सिंगल सुपर फॉस्फेट 75 किग्रा) और पोटाश 12 किग्रा (म्यूरेट ऑफ पोटाश 20 किग्रा) डालें। पनीरी के खेत में रोपण के समय नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा डालें। शेष नाइट्रोजन पहली तुड़ाई के बाद डालें।
अच्छी उपज पाने के लिए, अंकुर निकलने के 40-45 दिनों के बाद मोनो अमोनियम फॉस्फेट 12:61:00 @ 75 ग्राम/15 लीटर पानी का छिड़काव करें। अधिक पैदावार के साथ-साथ अधिक तुड़ाई के लिए, फूल आने के समय सल्फर/बैंसल्फ @ 10 किलोग्राम/एकड़ डालें और कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करें।
पौधे का मुरझाना फाइटोफ्थोरा कैप्सिसी नामक कवक के कारण होता है। यह एक मिट्टी जनित रोग है और अधिकतर खराब जल निकासी वाली मिट्टी और खराब खेती वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। बादल वाला मौसम भी रोग फैलाने में सहायक होता है।इस रोग की रोकथाम के लिए बैंगन, टमाटर, खीरा, पेठा आदि को कम से कम तीन वर्ष तक फसल चक्र में न अपनायें। कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 250 ग्राम प्रति 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।