किसानों को अपने खेतों में जैविक खाद का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही गाय के गोबर को सड़ाकर अंतिम जुताई से पहले खेत में डाल दें। बोते समय दो बीजों के बीच में दूरी बना लें। गन्ने के बीज अधिक बोयें क्योंकि इससे गन्ना धीरे-धीरे बढ़ता है और उसका वजन भी अधिक होता है। गन्ने के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छा विकल्प है, लेकिन भारी दोमट मिट्टी गन्ने की फसल के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है।
उन्नत प्रजाति
उन्नत किस्मों की क्षमता के अनुसार उत्पादन तभी संभव है जब उनके लिए उपयुक्त फसल ज्यामिति तथा अनुकूल जल एवं मिट्टी उपलब्ध हो। गन्ने की उचित अंकुरण, जड़ विकास और फसल की उपज के लिए प्रारंभिक आवश्यकता यह है कि गन्ने की बुवाई के समय गन्ने के बीज और मिट्टी के बीच अच्छा संपर्क होना चाहिए। जड़ों का मिट्टी से अच्छा संपर्क होना चाहिए। जड़ों को मिट्टी की गहरी परतों तक पहुँचने के लिए, मिट्टी का आभासी घनत्व कम होना चाहिए और जल धारण क्षमता अधिक होनी चाहिए।
How can I increase my sugarcane production?
मिट्टी के इन भौतिक गुणों में सुधार के लिए प्राथमिक कर्षण क्रिया के रूप में सब-सॉइलर द्वारा एक मीटर के अंतराल पर 45 से 50 सेमी. एम. गहरी क्षैतिज जुताई से गन्ने की उपज में लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस क्रम में उपयुक्त बुआई पद्धति, सूक्ष्म सिंचाई पद्धति, जल का किफायती उपयोग, सूक्ष्म एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन तथा गन्ने पर आधारित विभिन्न फसल प्रजातियों का विकास महत्वपूर्ण है। इन पर ध्यान देकर गन्ना उत्पादकों को गन्ना उत्पादन में ठहराव से ऊपर उठाकर अधिक से अधिक आय प्राप्त करना संभव है।
गन्ना बोने की उन्नत विधियाँ
विभिन्न बुवाई विधियों में कुंड विधि, समतल विधि, गड्ढा विधि, नाली विधि आदि में अलग-अलग उपज प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई है। गन्ना उपज – स्वस्थ पोषक तत्व उपयोग दक्षता और उच्च लाभ – लागत अनुपात। इसके अलावा धान की फसल से अधिक उपज प्राप्त होती है। इसमें गन्ने की बुआई 30 सें.मी. में की जाती है। मीटर चौड़ा और 30 सेमी में किया जाता है। एम। यह गहरी खांचे में किया जाता है। एक नाले में दो गन्ने के बीच की दूरी 150 सेमी. म. (120:30) रखा गया है। सिंचाई के पानी की अधिक खपत के कारण इस विधि से सिंचाई के पानी को कम किया जा सकता है। जड़ों की गहराई और वृद्धि के कारण इस विधि से चपटी विधि की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत अधिक गन्ने की उपज प्राप्त होती है।
फसल वृद्धि के लिए 30 सितंबर तक आवेदन करें
गन्ना विकास परिषद गुलेरिया के वरिष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक जगपाल सिंह यादव ने बताया कि गैर सदस्य किसान 15 सितंबर तक रसीद काटकर सदस्य बन सकते हैं, जबकि 30 सितंबर तक किसान गन्ना पर्यवेक्षक से मिल कर अपनी उपज वृद्धि रसीद कटवा सकते हैं
पौध नर्सरी से बुआई करने के ये हैं फायदे
प्रति एकड़ खेत में केवल 4800 पौधों की आवश्यकता होती है, जिसमें ढाई क्विंटल बीज का ही प्रयोग होता है। संयंत्र परिवहन की लागत बहुत कम है। ढाई क्विंटल बीज के उपचार की लागत मात्र पांच रुपए है। 10 मजदूरों द्वारा एक एकड़ में पौध रोपण। ट्रे में केवल अंकुरित बीज ही लगाए जाते हैं। शत-प्रतिशत अंकुरित पौधे ही रोपे जाते हैं, जिससे खेत में खाली जगह नहीं बचती। जहां पौधा लगाया जाता है वहां खाद दी जाती है, जिससे खाद का प्रयोग सीमित होता है। नए बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान होता है। सिंगल सेल सिस्टम अपनाने के कारण प्रति पौधे केन की संख्या अधिक होती है।
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