गन्ने की बुआई के लिए अक्टूबर-नवंबर सबसे उपयुक्त समय क्यों है? फसल में छेदक कीट का प्रकोप नहीं होता है फसल विकास की लंबी अवधि के कारण मध्यवर्ती फसलों के लिए काफी गुंजाइश है
अंकुरण अच्छा होने से बीज कम तथा कलियाँ अधिक फूटती हैं अच्छी वृद्धि के कारण खरपतवार कम होते हैं सिंचाई जल की कमी की स्थिति में देर से बोई गई फसल की तुलना में नुकसान कम होता है फसल जल्दी पकने के कारण कारखाने जल्दी पेराई शुरू कर देते हैं जड़ वाली फसलें भी बहुत अच्छी होती हैं।
इस साल औसत से ज्यादा बारिश होने के कारण गन्ने की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है. जिले में करीब 8100 एकड़ गन्ने की खेती होती थी. इसमें से करीब 4500 एकड़ जमीन पर किसानों ने Co0238 प्रजाति के गन्ने की खेती की थी. गन्ने की इस किस्म पर पिछले दो साल से प्रतिबंध लगा हुआ है. इसका मुख्य कारण यह है कि इस प्रजाति के गन्ने में अधिक बारिश के कारण रेड-राट रोग लगने का खतरा रहता है। यह गन्ना सूखने लगता है।
इससे जिले में करीब 2400 एकड़ गन्ने की फसल प्रभावित हुई है. इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है. ऐसे में उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संघ शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए किसानों को जागरूक कर रहा है. इसके लिए उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संघ गन्ना किसानों के बीच पंपलेट बांट रहा है. संस्थान का मानना है कि शरद ऋतु में गन्ने का उत्पादन वसंत ऋतु में उगाए गए गन्ने की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक होता है। इससे किसान सहफसली खेती कर सकते हैं.
सहायक निदेशक ने बताया कि शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए 15 सितंबर से 30 नवंबर तक का समय उपयुक्त है. गन्ने की सहफसली खेती के लिए किसान गन्ने की दो पंक्तियों के बीच आलू, लहसुन, गेहूं, गोभी, टमाटर, धनिया, मटर आदि उगा सकते हैं। सहफसली खेती के लिए गन्ने की खेती ट्रेंच विधि से की जाती है। इसके लिए खेत की अच्छे से जुताई करनी चाहिए. इसके बाद किसानों को आखिरी जुताई के साथ अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद को समान रूप से मिट्टी में मिला देना चाहिए. इससे खेत पूरी तरह तैयार हो जाता है.